UK का Net-Zero 2050 लक्ष्य: क्या भारत इस मॉडल को अपनाकर भविष्य बचा सकता है?

 

“UK और भारत को दर्शाता हुआ एक हरित ऊर्जा आधारित भविष्य, जिसमें सोलर पैनल और विंड टरबाइन शामिल हैं”“UK और भारत को दर्शाता हुआ एक हरित ऊर्जा आधारित भविष्य, जिसमें सोलर पैनल और विंड टरबाइन शामिल हैं”
“Net-Zero की ओर: UK से भारत तक हरित ऊर्जा की यात्रा”

UK का Net-Zero 2050 लक्ष्य: क्या भारत इस मॉडल को अपना सकता है?

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक गंभीर संकट बन चुका है। हर साल बढ़ते तापमान, जंगलों की आग, बाढ़ और ग्लेशियरों के पिघलने जैसी घटनाएं इस बात की चेतावनी हैं कि अब समय आ गया है जब हमें पर्यावरण के प्रति गंभीर निर्णय लेने होंगे।

इसी दिशा में ब्रिटेन (UK) ने वर्ष 2019 में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया – Net-Zero Carbon Emissions by 2050। इसका उद्देश्य था कि साल 2050 तक UK की सारी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को इतना घटा दिया जाए कि जितना उत्सर्जन हो, उतना ही कार्बन वातावरण से हटाया भी जा सके।

लेकिन बड़ा सवाल ये है – क्या भारत भी UK की तरह Net-Zero लक्ष्य को अपना सकता है? और अगर हां, तो इसके लिए भारत को कौन-कौन से कदम उठाने होंगे?

🔍 Net-Zero का मतलब क्या है?

Net-Zero का मतलब है कि किसी देश का कुल कार्बन उत्सर्जन शून्य हो जाए। इसका अर्थ यह नहीं कि कार्बन का उत्पादन बिल्कुल न हो, बल्कि जितना कार्बन हम वातावरण में छोड़ते हैं, उतना ही हम वापस खींच लें – पेड़ लगाकर, टेक्नोलॉजी से या Carbon Capture सिस्टम से।

🇬🇧 UK का Net-Zero प्लान: मुख्य बातें

  • 2019 में Climate Change Act में संशोधन कर Net-Zero target को कानून बनाया गया।
  • Electric vehicles को बढ़ावा, पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध की घोषणा (2035 तक)।
  • Renewable energy में भारी निवेश – खासकर wind और solar में।
  • इमारतों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ज़ोर।
  • Carbon capture and storage (CCS) टेक्नोलॉजी का उपयोग।

🇮🇳 भारत की स्थिति क्या है?

भारत ने 2021 के COP26 सम्मेलन में Net-Zero का लक्ष्य 2070 तक का रखा है। हालांकि UK से 20 साल पीछे, परंतु भारत की आर्थिक और जनसंख्या परिस्थिति अलग है।

भारत के मौजूदा प्रयास:

  • Solar और Wind energy में विश्व के टॉप 5 देशों में शामिल।
  • Ujjwala योजना से क्लीन कुकिंग फ्यूल का प्रसार।
  • Faster Adoption of Electric Vehicles (FAME) स्कीम।
  • National Hydrogen Mission की शुरुआत।

🆚 UK vs India: क्या फर्क है?

पैरामीटरUKभारत
Net-Zero Deadline20502070
GDP per capita~$45,000~$2,500
Electricity from Renewables~40%~22%
Population~6.7 crore~140+ करोड़

✅ भारत UK मॉडल से क्या सीख सकता है?

  • स्पष्ट कानूनी लक्ष्य: UK ने Net-Zero को कानून में बदल दिया। भारत को भी जलवायु लक्ष्यों को कानूनी जामा पहनाना चाहिए।
  • Green Jobs का निर्माण: UK में लाखों नौकरियां ग्रीन सेक्टर में बनीं। भारत में भी सोलर, ईवी, सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में युवाओं को रोज़गार मिल सकता है।
  • Urban Transport सुधार: Electric Buses, Metro विस्तार UK की नीति में अहम हैं। भारत को भी Tier-2 शहरों में इनका विस्तार करना होगा।
  • R&D में निवेश: भारत को hydrogen fuel, storage, smart grid जैसी टेक्नोलॉजी पर रिसर्च बढ़ानी होगी।

🔋 क्या यह भारत के लिए संभव है?

हाँ, लेकिन इसके लिए हमें कुछ प्रमुख चुनौतियों को पार करना होगा:

  1. वित्तीय संसाधन: Net-Zero के लिए अरबों डॉलर की आवश्यकता होगी। भारत को इसमें वैश्विक मदद चाहिए।
  2. नीतिगत स्थिरता: केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर नीति में सामंजस्य होना जरूरी है।
  3. Behavioral Change: आम जनता की सोच और आदतों में बदलाव लाना सबसे कठिन लेकिन आवश्यक कदम होगा।

🌱 Zero Emissions की दिशा में भारत के उभरते प्रयास

  • Panchamrit Strategy: PM मोदी ने 5 बड़े संकल्प COP26 में रखे:
    • 500 GW non-fossil energy capacity
    • 50% energy renewable से
    • 1 बिलियन टन कार्बन कम करना
    • GDP emission intensity में 45% कमी
    • Net-Zero by 2070
  • International Solar Alliance: भारत और फ्रांस की पहल पर बनी वैश्विक संस्था

📉 अगर भारत Net-Zero की ओर नहीं बढ़ा तो?

  • बढ़ती गर्मी से कृषि पर असर, खाद्य संकट
  • स्वास्थ्य समस्याएं – सांस, त्वचा, जल-जनित रोग
  • समुद्र स्तर बढ़ने से तटीय शहरों का संकट
  • अंतरराष्ट्रीय दबाव और व्यापार प्रतिबंध

📌 निष्कर्ष: क्या भारत UK मॉडल को अपनाकर Net-Zero लक्ष्य पा सकता है?

UK का मॉडल भारत के लिए एक प्रेरणा है, लेकिन भारत की जमीनी हकीकत अलग है। भारत को अपने संसाधनों, आबादी और आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत-केंद्रित Net-Zero रोडमैप बनाना होगा।

अगर केंद्र, राज्य, उद्योग और आम नागरिक मिलकर प्रयास करें, तो भारत भी Net-Zero की दिशा में 2030 से ही बड़ा बदलाव शुरू कर सकता है।

अभी नहीं तो कभी नहीं!

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