OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप कब और कैसे लागू होगी? 2025 की पूरी गाइड

 

OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप और 2025 की सरकारी नीति की जानकारी देता ब्लॉग
OTT पर नई सेंसरशिप नीति 2025: दर्शकों और क्रिएटर्स को क्या होगा असर?

OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप कब और कैसे लागू होगी? 2025 की पूरी गाइड

Netflix, Amazon Prime Video, Hotstar, Zee5, SonyLiv और अन्य OTT प्लेटफॉर्म्स ने भारत में मनोरंजन की परिभाषा ही बदल दी है। अब दर्शक थिएटर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि किसी भी समय, कहीं भी अपने पसंदीदा वेब सीरीज़ या फिल्में देख सकते हैं। लेकिन बढ़ती आज़ादी के साथ कुछ जिम्मेदारियाँ भी आती हैं – और यही कारण है कि सरकार अब OTT कंटेंट पर सेंसरशिप लागू करने की दिशा में काम कर रही है।

2025 में भारत सरकार ने OTT कंटेंट को लेकर कई नए दिशा-निर्देश और नियामक संरचना की घोषणा की है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप क्या है, क्यों ज़रूरी मानी जा रही है, इसका कानूनी पक्ष क्या है, और यह आपके मनोरंजन को कैसे प्रभावित करेगी।

OTT प्लेटफॉर्म क्या हैं और कैसे काम करते हैं?

OTT यानी "Over The Top" प्लेटफॉर्म वे डिजिटल माध्यम हैं जो इंटरनेट के ज़रिए वीडियो कंटेंट (फिल्में, वेब सीरीज़, डॉक्यूमेंट्री आदि) उपलब्ध कराते हैं। ये प्लेटफॉर्म पारंपरिक टीवी या सिनेमा की सेंसरशिप से बंधे नहीं थे, जिसकी वजह से रचनात्मक स्वतंत्रता अधिक थी।

लेकिन यही रचनात्मक आज़ादी कई बार विवादों की वजह भी बनी। अनेक वेब सीरीज़ और शो पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, अश्लीलता, हिंसा और गलत जानकारी फैलाने जैसे आरोप लगे।

OTT कंटेंट को लेकर विवाद और चर्चाएं

  • 2020 में 'तांडव' वेब सीरीज़ को लेकर धार्मिक विवाद हुआ।
  • 2021 में 'मिर्जापुर' के कुछ एपिसोड पर राजनीतिक आपत्ति जताई गई।
  • 2022–24 के दौरान कई नागरिक संगठनों ने याचिकाएं दायर कीं कि बच्चों के लिए अनुपयुक्त कंटेंट बिना नियंत्रण के दिखाया जा रहा है।

2025 में OTT सेंसरशिप पर सरकार की पहल

सरकार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत OTT कंटेंट पर नियंत्रण हेतु एक 3-Tier Complaints Redressal Mechanism की व्यवस्था की है।

Tier-1: Self-Regulation by Publisher

  • हर OTT प्लेटफॉर्म को खुद अपने कंटेंट की जिम्मेदारी लेनी होगी।
  • उन्हें कंटेंट के लिए क्लासिफिकेशन (U, UA 13+, A) करना अनिवार्य होगा।

Tier-2: Self Regulatory Body

  • OTT इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की एक कमेटी जो शिकायतों की समीक्षा करेगी।

Tier-3: Oversight by Government

  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अंतिम फैसला लेने का अधिकार होगा।

क्या-क्या कंट्रोल में आएगा?

  1. वयस्क कंटेंट (Adult content) – अब स्पष्ट डिस्क्लेमर और parental lock जरूरी होगा।
  2. धार्मिक/राजनीतिक संवेदनशीलता – बिना प्रमाण और अपमानजनक विषयों पर रोक लगेगी।
  3. गाली-गलौज, नग्नता, ड्रग्स – बिना वजह के ऐसे सीन अब आसानी से पास नहीं होंगे।
  4. बच्चों के लिए कंटेंट – उम्रानुसार फिल्टरिंग जरूरी होगी।

OTT सेंसरशिप के फायदे

  • संवेदनशील विषयों पर समाज में तनाव कम होगा।
  • बच्चों को सुरक्षित और उपयुक्त कंटेंट मिलेगा।
  • रचनाकारों की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
  • फर्जी जानकारी और राष्ट्रविरोधी विचारों पर रोक लगेगी।

OTT सेंसरशिप की आलोचना

  • क्रिएटिव फ्रीडम में दखल का खतरा।
  • सरकारी हस्तक्षेप की वजह से अभिव्यक्ति की आज़ादी प्रभावित हो सकती है।
  • कुछ निर्माता और दर्शक इसे 'soft censorship' मानते हैं।

दर्शकों के लिए जरूरी बातें

  • हर प्लेटफॉर्म पर अब Grievance Officer नियुक्त होगा।
  • अगर किसी कंटेंट से आप आहत हैं, तो शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • www.mib.gov.in और IBF India पोर्टल पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं।

कानूनी पहलू: कौन-से कानून लागू होंगे?

  • Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021
  • Indian Penal Code (IPC) की धारा 295(A), 153(A) – धार्मिक भावना भड़काने पर
  • Juvenile Justice Act – बच्चों के हित से जुड़ा कंटेंट

भविष्य की दिशा (2025 और आगे)

सरकार और इंडस्ट्री मिलकर एक ऐसा संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें क्रिएटिविटी भी बनी रहे और सामाजिक दायित्व भी निभाया जाए। आने वाले समय में:

  • AI आधारित कंटेंट मॉनिटरिंग टूल्स अपनाए जाएंगे।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी OTT उपयोग बढ़ेगा – इसलिए लोकल भाषाओं के कंटेंट पर भी निगरानी जरूरी होगी।
  • क्रिएटिविटी और नियमों के बीच एक 'Guided Freedom' मॉडल अपनाया जा सकता है।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. क्या अब वेब सीरीज़ देखने से पहले सरकार की मंजूरी लगेगी?
नहीं, लेकिन प्लेटफॉर्म को कंटेंट की जिम्मेदारी खुद लेनी होगी।

Q2. क्या पुराने शो पर भी सेंसरशिप लागू होगी?
हाँ, अगर वो अभी भी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और किसी नियम का उल्लंघन करते हैं।

Q3. क्या सेंसरशिप से क्रिएटिविटी खत्म हो जाएगी?
नहीं, लेकिन रचनाकारों को जिम्मेदारी से काम करना होगा।

निष्कर्ष

OTT प्लेटफॉर्म्स आज हमारे मनोरंजन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन जब ये प्लेटफॉर्म एक बड़ा प्रभाव डालने लगें, तो उनके लिए नियम और गाइडलाइन भी जरूरी हो जाती है। 2025 की यह पहल एक ऐसी दिशा की ओर संकेत करती है, जहां स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी साथ-साथ चलें।

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